डॉ. अल्पना माथुर ,(B.A.M.S)

आयुर्वेद का अगर संधि विच्छेद करे तो हमें आयु: + वेद मिलेगा यानि कि मानव को लंबी आयु प्रदान करना। समस्त समग्र स्वास्थ्य प्रणालियों के समान ही आयुर्वेद भी शरीर, मन एवं आत्मा के एक अपरिवर्तित संबंध पर जोर देती है । औषधि विज्ञान में आयुर्वेद दर्शन वास्तव में समग्र चिकित्सा विज्ञान है जी इस सिद्धांत पर आधारित है । कि मानव स्वास्थ्य आंतरिक एवं वाह्य परिवेश के समन्वयन के आधार पर निर्भर करता है । परम्परार के अनुरूप मानसिक स्वास्थ्य शारीरिक स्वास्थ्य के समान ही महत्वपूर्ण है । यह सिखाया गया था कि स्वस्थ, उत्पादक जीवन जीने के लिए मनुष्य को अपने मानसिक, शारीरिक तथा आध्यात्मिक स्वास्थ्य में समन्वय बनाकर चलना होगा ।

क्या आप जानते है कि आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली दुनिया की सबसे प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। कुछ समस्याओं का पूर्ण इलाज आज भी सिर्फ आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में ही संभव है। सबसे विशेष आयुर्वेदिक दवाइयों का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता। आयुर्वेद को भारतीय आयुर्विज्ञान भी कहते है और आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसमें मानव शरीर को होने वाले रोग और उन्हें रोग मुक्त करने की सारी विधियों का वर्णन मिलता है। आयुर्वेद जिस ग्रंथ में लिखा गया है, उस ग्रंथ के अनुसार मानव शरीर में जब तीन दोषों का संतुलन बिगड़ जाता है तब मानव रोग से ग्रसित यानि बीमार पड़ता है। वो तीन दोष वात, पित्त और कफ है।

अगर आसान शब्दों में कहे तो ऐसा शास्त्र जो जीवन के बारे में ज्ञान देता है उसे आयुर्वेद कहते है।

आयुर्वेद के लाभ

  • अब इसके लाभ के बारे में पढ़ लेते है क्योंकि इस पद्धति से जो मनुष्य अपना इलाज करवाता है उसके कभी साइड इफैक्ट नहीं होते है, इसलिए इस चिकित्सा पद्धति की एक भी हानि नहीं है।
  • आयुर्वेद रोग को जड़ से ख़त्म करता है।
  • आयुर्वेद न केवल रोगों को सही करता है बल्कि रोगों को आने से भी रोकता है।
  • आयुर्वेदिक दवाइयाँ में अधिकतर पौधे, फूलों और फलों के घटक मौजूद होते है। अत: यह चिकित्सा प्रकृति के पास है, जिससे मनुष्य को कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।
  • ऐसा जरूरी नहीं है कि आयुर्वेदिक दवाइयाँ जिसे औषधियाँ कहते है, वो केवल अस्वस्थ लोग ही ले बल्कि स्वस्थ लोग भी ले सकते है।